भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकदशी कहते है। वैसे तो एक साल में 24 एकादशी होती है,लेकिन अधिकमास या मलमास की वजह से इनकी संख्या 24 से बढ़कर 26 हो जाती है ।
शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु को एकादशी बहुत अधिक प्रिय है। इसलिए जो भी भक्त पूरी श्रद्धा से व्रत करते हैं वो भगवान की कृपा से संसार के सभी सुखों को प्राप्त कर लेते हैं।
एकादशी के व्रत में रात्रि जागरण, गौ पूजन और दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन किए गए दान से व्यक्ति को पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु को एकादशी बहुत अधिक प्रिय है। इसलिए जो भी भक्त पूरी श्रद्धा से व्रत करते हैं वो भगवान की कृपा से संसार के सभी सुखों को प्राप्त कर लेते हैं।
एकादशी के व्रत में रात्रि जागरण, गौ पूजन और दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन किए गए दान से व्यक्ति को पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
अजा एकादशी व्रत में इन बातों ध्यान रखें।
- दशमी तिथि की रात्रि में मसूर की दाल खाने से बचना चाहिए।इससे व्रत के शुभ फलों में कमी होती है।
- चने नहीं खाने चाहिए, करोदों का भोजन नहीं करना चाहिए, शाक आदि भोजन करने से भी व्रत के फलों में कमी होती है।
- इस दिन शहद का सेवन करने एकादशी व्रत के फल कम होते है। व्रत के दिन और दशमी तिथि के दिन पूर्ण ब्रह्माचार्य का पालन करना चाहिए।
- एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए. मन चंचल होता है और प्रभु भक्ति से एकाग्र हटता है।
- पान, तम्बाकू, जर्दा, सुपारी, शराब आदि नशीली वस्तुओं का सेवन ना करें।
- दातुन वर्जित होता है. पेड़ की डाली ना तोड़ें।
- एकादशी की रात सोना नहीं चाहिए. बैठकर भजन कीर्तन करना चाहिए।
- किसी प्रकार हिंसा या चुगली नहीं करना चाहिए।
- इस दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए।
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